उज्जैन। होटल अथर्व उज्जैन में १० नवम्बर को आयुर्वेद संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें आयुर्वेद की शास्त्री औषधियों एवं आसव अरिष्ठ की उपयोगिता शुद्धता प्रमाणिकता और उसका अपनी चिकित्सा में वैद्य द्वारा उपयोग के ऊपर परिचर्चा की गई। मुक्ता वक्ता के रूप में डॉक्टर ओपी व्यास द्वारा प्रोफेसर काय चिकित्सा शासकीय धन्वंतरी आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन ने आसव और अरिष्ठ की मन की प्रसन्नता चित की स्थिरता और कार्य करने में क्षमता लाता है। अपने उद्बोधन में कहा इसमें डॉक्टर चंद्र शर्मा ने हृदय सब के हृदय पर उत्तम परिणाम के बारे में बताया जिसमें, डॉक्टर प्रज्ञान त्रिपाठी ने कासिस भस्म का प्रयोग गाल ब्लैडर स्टोन में बताया, डॉक्टर एसएन पांडे ने वात रोग चिकित्सा में वृहत् वात चिंतामणि रस के उत्तम प्रयोगों के बारे में बताया। आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर जेपी चौरसिया ने डाबर की औषधियों की गुणवत्ता एवं प्रमाणिकता की सराहना की। इस कार्यक्रम में डाबर इंडिया लिमिटेड से एरिया मैनेजर डॉक्टर नीरज तिवारी, नरेंद्र जैन, संदीप मकोड़े उपस्थित रहे। इस अवसर पर सभी का सम्मान शॉल एवं प्रमाण-पत्र दिये गये। आयुर्वेद महाविद्यालय द्वारा प्राध्यापकगण साथ ही उज्जैन शहर के प्रमुख चिकित्सक साथी उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉ. विनोद बैरागी, चंद शर्मा, डॉ. राम अरोरा, वेद प्रकाश व्यास, डॉ. राजेश जोशी, डॉ. ओ.पी पालीवाल, डॉ. दिवाकर पटेल, डॉ. निरंजन सराफ, डॉ. प्रकाश जोशी, डॉ. रामतीर्थ शर्मा एवं महाविद्यालय के आरएमओ हेमंत मालवीय मालवीय, डॉ. अनिल पांडे आदि उपस्थित रहे।
चित् और मन की प्रसन्नता को बढ़ाने का काम करता है आसव एवं अरिष्ठ - डॉक्टर ओपी व्यास