सत्संग मुक्ति का द्वार है : स्वामीजी
उज्जैन। चारधाम मंदिर प्रांगण में आयोजित अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत कथा के चलते पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। १०८ पंडितों द्वारा किए जा रहे भागवत पाठ की ध्वनि श्रवण कर भक्त आनंद की अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं।
इसी के साथ भक्तिरस का रसास्वादन कर रहे कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शान्तिस्वरूपानंद गिरिजी महाराज ने भरत चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सत्संग मुक्ति का द्वार है। राजा परीक्षित ने भी सात दिनों के अंदर मृत्यु से बचने का उपाय नहीं पूछा। उन्होंने सुखदेव जी से कहा मुक्ति का उपाय बताएं। गुरु वही है जो हमें जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त करा दे। सत्संग को जीवन में अपनाएं। उसके पहले हम सत्संग में बैठ कर श्रवण करने की आदत तो डाल लें। श्रवण के साथ ही श्रद्धा होना आवश्यक है। श्रद्धा होगी तो ही हम सत्संग में मन लगा पाएंगे।
अब हमारी जीवन पद्धति बदल चुकी है। पहले अमूमन सामान्य जन भी प्रात: ५-६ बजे उठ जाया करते थे। रात को आठ बजे सोने का समय हो जाता था। सही जीवन शैली नहीं होने के कारण भी हम कष्ट भोगते हैं। कथा आयोजन के संदर्भ में बताया गया कि कथा के मुख्य यजमान द्वारकाधीश जी हैं। कराने वाले बद्रीनाथ जी हैं, सुनाने वाले रामेश्वर जी हैं और श्रवण करने वाले जगन्नाथ जी हैं।
पांच फरवरी को श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। जन्मोत्सव की तेयारियाँ पूर्ण कर ली गई है। कथा स्थल को तोरण बंधनवार से सजाया गया है, माखन मिश्री के साथ फलों की प्रसादी का भोग लगेगा। उक्त जानकारी पं. राम लखन शर्मा ने दी।