अभी का जो दौर चल रहा है, वहाँ हर व्यक्ति यही सोच रहा है कि आगे क्या होगा । किंतु व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसी के अंदर सभी प्रकार की शक्तियां विद्धमान है। आपके अंदर ही सामान्य या महान बनने के गुण मौजूद है । जब तक आप इन गुणों को नहीं पहचानते तब तक आप एक सामान्य व्यक्ति ही बने रहेंगे ।
प्रकृति हमें समय - 2 पर इन गुणों को पहचानने के अवसर देती है , यह अलग बात है , कि हम उसे नही पहचाने ।
प्रकृति स्वयं मनुष्य को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करती है । आप अपनी इच्छा व आत्मबल से आगे बढ़ सकते है । किंतु अधिकतर लोग अपने दायरे में ही रहकर - रह जाते है । पर कुछ लोग जो आशावादी होते है वह अवसर को लपकने के लिए तैयार रहते है । प्रत्येक व्यक्ति को सोचना चाहिए कि वह क्या है और वर्तमान दौर से क्या वह संतुष्ट हैं या उससे आगे उसे निकलना है ।
विश्व के अधिकतर लोगों के सामने *कोरोना* के इस दौर में अनेक समस्यायें आन खडी है । पर साथ ही नई सोच के बिना यह समस्या ये खत्म होने वाली नही है । औऱ इन समस्याओं से पार पाना भी आपका ही दायित्व है । देश के मजदूरों - कामगारों के सामने *कोरोना* काल मे खाने की , पैसों की समस्या आई । किसी एक ने इस समस्या का हल पैदल चल कर अपने घर पहुँचने का रास्ता आशा - विश्वास के साथ देखा और वह निकल गया । उसके पीछे आज देश के सैकड़ों - हजारों मजदूर - कामगार हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए चिलचिलाती धूप - गर्मी में अपने - अपने घरों के लिए निकल गये । इन लाखों मजदूरों - कामगारों को जब पैदल चलते देखा तो सरकार को भी इन लोगों की सुध लेनी पड़ी । इन मजदूरों मे कई बीमार भी होंगे पर मन में एक आशा का दीप जल रहा था , और इसी छोटी सी आशा ने उन्हें उत्साह से भर दिया ।
चुनोतियाँ ही मनुष्य को अपनी असीमित शक्तियों से परिचित करवाती हैं । और प्रत्येक मनुष्य में यह शक्तियां और आशा - विश्वास होता है , पर इस आशा को जगाना पड़ता है । किंतु मुश्किल तो यह है , कि इस आशा को हम पहचानने की कोशिश ही नही करते । आप उन्नति चाहते हैं और बुरे वक्त से पार पाना चाहते हैं , तो आपको आशावादी बनना ही होगा ।
मुसीबत के वक्त उन्नति का संकल्प लेना ही होगा । मेरा वक्त खराब है कह कर आशा का दीप मत बुझाइये । किसी ने कहा भी है , कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो स्वंय की सहायता करता है । तुच्छ और हीन विचारों वाला व्यक्ति कभी तरक्की नही कर सकता । संसार में जितने भी सफल व्यक्ति हुए वह सभी आशावादी थे । और अभी के दौर में तो यह और आवश्यक है , कि हम अपने ऊपर निराशा को हावी न होने दे आशावादी व्यक्ति ही हँसकर समय का सामना कर सकता है । व्यक्ति को केवल हर्ष और खुशी के क्षण ही याद रखना चाहिए । निराशा के क्षण आ घेरे तो आशावाद से आत्मविश्वास को फिर जगाइये । और भी कुछ न कर सके तो गिनती गिन कर भी आशावाद को जगाया जा सकता है ।
एक दिन कोरोना वायरस का इलाज भी ढूढ़ लिया जायेगा , वेक्सीन बन जायेगा और संसार पुर्व की तरह ही हँसेगा - मुस्कुराएगा इसी आशा के साथ कई वैज्ञानिक , डॉक्टर , सरकारें लगी हुई , इसी आशा - विश्वास के साथ हम व दुनिया फिर मुस्कुराएगी ।
अतः अपने मन में हमेशा सुविचारों को बसने दे , यह दौर भी गुजर जायेगा और फिर आशावादी दृष्टिकोण से जीवन पुर्व की तरह या उससे भी अच्छा हो जायेगा ।